पटना। वर्ष 1865 में यानी आज से 160 साल पहले अंग्रेजों द्वारा बनाया गया ‘यूरोपीयन क्लब’ आज देश – विदेश में बांकीपुर क्लब के नाम से विख्यात है। राजधानी पटना में यह क्लब जज कोर्ट रोड (जिला कलेक्ट्रेट, गांधी मैदान) पर गंगा के किनारे स्थित है। इस प्रतिष्ठित क्लब के निदेशक मंडल का चुनाव 15 दिसम्बर यानी रविवार को होना है। चुनाव में दो पैनल आमने सामने हैं। रविवार की सुबह वार्षिक आम सभा (एजीएम) होगी और इसके बाद दोपहर 12.30 से वोटिंग शुरू होगी।
वोटरों को रिझाने को दोनों ओर से सेनापतियों ने मोर्चा संभाला
वोटरों को अपने पक्ष में रिझाने के लिए ‘दवा किंग’ और ‘होटल सम्राट’ के सेनापतियों ने मोर्चा संभाल लिया है। कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं। दवा व्यवसायी गोपाल खेमका की टीम से 7, जबकि होटल कारोबारी महेश अग्रवाल की टीम से 6 उम्मीदवार अखाड़े में उतारे गए हैं। कार्यसमिति के लिए कुल 11 निदेशक चुने जाएंगे। साफ है कि कम से कम 6 उम्मीदवार जिस टीम से जीतेंगे, वही अपना सचिव और कोषाध्यक्ष चुनेगा और उसीका इस अति प्रतिष्ठित क्लब पर कब्जा होगा।
विजयश्री हासिल करने के लिए दोनों टीमों ने पूरी ताकत झोंकी
मिल रही जानकारी के मुताबिक इस चुनाव में विजयश्री हासिल करने के लिए दोनों ओर से पूरी ताकत झोंक दी गई है। न सिर्फ पटना और बिहार, बल्कि देश – विदेश में रह रहे इसके वोटरों से संपर्क साधे जा रहे हैं। दोनों टीमों का फोकस पंजाबी बिरादरी और मारवाड़ी समाज को साधने पर है। वहीं, कुछ को अपने परिजनों और सगे संबंधियों के वोट पर भी भरोसा है। इसके साथ ही कई प्रोफेशनल, इंटेलैक्चुअल और अफसर भी इसके वोटर हैं, जो अपनी इंडीपेंडेंट सोच रखते हैं। ऐसे वोटरों को अपने पक्ष में मोड़ना दोनों टीमों के लिए चुनौती होगी। वोटर शाम 7.30 बजे तक क्लब के 600 स्थायी सदस्य अपने अपने वोट डालेंग़े। देर रात तक नतीजे आने की उम्मीद है। इसके साथ ही तय हो जाएगा कि क्लब पर किसका राज चलेगा। ‘दवा किंग’ का या ‘होटल सम्राट’ का !!
नामांकन रद्द विवाद के साथ अन्य चर्चाओं का बाजार भी गरम
प्रतिष्ठा की लड़ाई बन चुके इस चुनाव में कई तरह की चर्चाओं का बाजार गरम है। अपने अपने फायदे के लिहाज से इसे हवा दी जा रही है। इसमें एक आशीष आदर्श का नामांकन रद्द होना भी है। खेमका खेमा का कहना है कि आशीष का नामांकन तकनीकी आधार पर रद्द किया गया है। दबे स्वर में इस खेमे का यह भी कहना है कि कहीं आदर्श अपने ही गुट की साजिश का तो शिकार नहीं हो गए। वरना, जिन तकनीकी तथ्यों की अनदेखी नामांकन फार्म भरने में की गई, ताज्जुब है कि उनकी इतनी जानकार टीम और इसके लीडर की नजर उस पर कैसे नहीं गई। वहीं, महेश खेमा का आरोप है कि उनकी टीम को कमजोर करने के लिए गलत तरीके से नामांकन रद्द किया गया। कैंसिलेशन का तकनीकी आधार तो महज बहाना है। वहीं, अपने रसूख का इस्तेमाल निजी घर बनवाने में करने की चर्चा भी जोरों पर है। … तो कुछ लोग मिल्कियत की बुकिंग प्रक्रिया पर भी सवाल उठा रहे हैं।
आशीष आदर्श का नामांकन रद्द होना पुरानी बात है। इस पर मुझे कुछ भी नहीं कहना है। यह सब होता रहता है। यह कोई वैसा चुनाव नहीं है कि मैं इस तरह के किसी आरोप प्रत्यारोप में पड़ूं।
– महेश अग्रवाल
आशीष आदर्श का नॉमिनेशन नियमानुसार और तकनीकी आधार पर रद्द हुआ। उनको मैंने खुद इसकी जानकारी दी। मेरी नीयत में यदि कोई खोट होता तो मैं कदापि उनको इस बाबत नहीं बताता।
– गोपाल खेमका