पटना। सीमांचल की राजनीति से अपनी पहचान बनाने वाले पप्पू यादव फिलहाल बेबस नजर आ रहे हैं। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के ताजा दांव ने उनकी नींद उड़ा दी है। पप्पू ने घोषणा की है कि वह दुनिया छोड़ देंगे, लेकिन पूर्णिया नहीं। उनका यह वचन बीमा भारती के पूर्णिया लोकसभा से बतौर राजद उम्मीदवार उम्मीदवार बनाने के बाद आया है। उधर, लालू प्रसाद से टिकट लेकर पूर्णिया पहुंचीं, बीमा भारती ने तीन अप्रैल को नामांकन करने का ऐलान कर दिया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या पप्पू यादव अपने वचन पर कायम रहेंगे। वह पूर्णिया से ही चुनाव लड़ेंगे या फिर अपने लिए कोई और लोकसभा क्षेत्र तलाशेंगे।
पप्पू यादव की पार्टी जाप का कांग्रेस में विलय
अब जरा इसकी पृष्ठभूमि समझ लें। हाल ही में पप्पू यादव ने कांग्रेस में अपनी पार्टी जाप का विलय कर दिया है। इसके साथ ही यह चर्चा सियासी दायरे में फैली कि पप्पू यादव पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। यह चर्चा स्वाभाविक भी थी। हालांकि कांग्रेस ने उनके पूर्णिया या कहीं से भी लोकसभा चुनाव में उ्म्मीदवार बनाने की विधिवत घोषणा नहीं की है। इसी बीच पूर्णिया की राजनीति में बीमा भारती की इंट्री होती है। वह जदयू से नाता तोड़कर राजद की लालटेन थामती हैं और उनको राजद का टिकट भी पूर्णिया से मिल जाता है। इसने पप्पू की बेचैनी बढ़ा दी। इसी के बाद उनका भारी भरकम बयान आता है कि वह चुनाव लड़ेंगे तो पूर्णिया से ही। पप्पू की कर्मभूमि पूर्णिया रही है।
बड़बोले नेता की रही है छवि
अब पप्पू अपने इस बयान पर कितना कायम रहते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा, मगर अब तक उनकी छवि एक बड़बोले नेता की रही है। कारण कि उनके बयान में स्थिरता का अभाव रहता है। अभी वह कांग्रेस और राहुल गांधी की तारीफ कर रहे हैं। वैसे वह लालू की शान में भी कसीदे गढ़ चुके हैं। दूसरा यह कि महागठबंधन में अभी सीटों का विधिवत तालमेल नहीं हुआ है। इसलिए यह कहना मुहाल होगा कि कांग्रेस लालू के निर्णय का कितनी मजबूती से विरोध करती है। लालू यदि कांग्रेस को पूर्णिया सीट देने से इंकार करते हैं तो कांग्रेस के सामने दो ही चारा होगा, या तो वह पप्पू को कहे कि वह कांग्रेस के टिकट पर पूर्णिया से लड़ें या फिर जैसा कि चर्चा है कि लालू उनको मधेपुरा से चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं, तो वह पूर्णिया का मोह छोड़कर मधेपुरा से लोकसभा की तैयारी करें।
कांग्रेस अड़ी तो महागठबंधन पर भी संकट
एक विकल्प यह भी हो सकता है कांग्रेस या राजद के ना चाहने पर भी पप्पू पूर्णिया से ही लड़ें। वैसे यदि कांग्रेस पप्पू को पूर्णिया से चुनाव लड़ाने पर अड़ती है तो महागठबंधन पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं। वहीं, लालू अपना निर्णय बदलें और बीमा की जगह पप्पू के लिए पूर्णिया सीट छोड़ दें, यह कहना अभी मुश्किल है। इस तरह पप्पू यादव अपने बयान पर कितना अडिग रहते हैं यह समय के गर्त में है।
महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला अभी सुलझा नहीं
गौरतलब है कि बिहार में विपक्षी महागठबंधन में सीट शेयरिंग का मामला अभी सुलझा नहीं है। इस बीच राजद ने पूर्णिया लोकसभा सीट से बीमा भारती को टिकट दे दिया है। बुधवार को बीमा भारती पूर्णिया पहुंची और तीन अप्रैल को नामांकन करने की घोषणा की। इससे पहले से पूर्णिया से चुनाव लडने की तैयारी और जाप का कांग्रेस में विलय के बाद पप्पू की दावेदारी पर सवाल उठ गया है।