बीआरबीजे न्यूज, पटना, 9 अप्रैल, 2025 :
बिहार की फिजां में चुनावी रंग घुलने लगा है। सरकार पर विपक्ष के हमले तेज हो गए हैं। मगर, आम तौर पर यह एकतरफा रहता था। आरोप लगाए और निकल लिए। अब विपक्ष के आरोपों पर सरकार भी मुखर है। पलटवार कर स्थिति स्पष्ट कर रही है। असलीयत बता रही है। यह वर्ष 2015 की याद दिला रहा है, जब भाजपा विपक्ष में थी और इसके बड़े नेता बिहार आकर आकर आरोपों की बौछार कर दिल्ली लौट जाते थे। उसके बाद, सरकार मीडिया के सामने हकीकत बयान करती थी। कहना नहीं होगा कि नतीजा क्या रहा था। नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू-राजद महागठबंधन की सरकार विधानसभा चुनाव जीती थी। एकबार फिर नीतीश कुमार भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। विपक्ष के आरोपों और मीडिया की मनगढंत खबरों का मुंहतोड़ जवाब देने का सिलसिला शुरू हुआ है। हाल के ऐसे तीन वाकयों पर गौर करें तो स्थिति साफ हो जाती है।
पहला वाकया :
तेजस्वी के एक्स पर लगाए आरोपों का पुलिस मुख्यालय ने लिया संज्ञान
राज्य पुलिस मुख्यालय ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के उस एक्स पोस्ट का संज्ञान लिया है, जिसमें नेता प्रतिपक्ष ने कतिपय आपराधिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए राज्य की विधि-व्यवस्था पर टिप्पणी की है। उन्होंने अपने पोस्ट पर 76 आपराधिक घटनाओं का उल्लेख किया था। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इसमें मुख्यालय के स्तर पर 46 घटनाओं को चिन्हित कर इसमें की गई कार्रवाई की अपडेट स्थिति स्पष्ट करते हुए विस्तृत ब्यौरा जारी किया है। कहा गया है कि अधिकांश घटनाएं वर्ष 2025 में जनवरी से अभी तक की हैं। किसी घटना की तिथि एवं थाना का उल्लेख नहीं है, जिसके कारण घटनाएं स्पष्ट नहीं हो पा रही हैं। सिर्फ 46 की ही पहचान की गई है। पुलिस मुख्यालय ने इन घटनाओं की पहचान कर इन पर की गई कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक की है। पुलिस मुख्यालय का दावा है कि देश के विभिन्न राज्यों की तुलना में बिहार में अपराध की दर काफी कम है। राज्य पुलिस ने बकायदा आंकड़े जारी कर यह जानकारी दी है। कहा है कि अपराधिक वारदातों के मामले में दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।
पुलिस मुख्यालय ने आपत्ति भी दर्ज की
पुलिस मुख्यालय ने इस तरह के पोस्ट पर आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा है कि अनावश्यक टीका टिप्पणी से पुलिस के मनोबल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पुलिस अपना काम पूरी निष्टा एवं ईमानदारी से कर रही है। पुलिस मुख्यालय ने कहा है कि नेता प्रतिपक्ष के पोस्ट में उल्लिखित अधिकांश घटनाएं छोटे-छोटे कारणों से घटित हुई हैं। मसलन, रुपये का लेनदेन, बच्चों की लड़ाई, पूर्व के आपसी विवाद, भूमि विवाद, प्रेम प्रसंग, मोबाइल से लेनदेन समेत अन्य शामिल हैं। इन 46 कांडों में कार्रवाई की जा रही है और इनमें 112 दोषियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। पुलिस हर छोटी-बड़ी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए कांडों की जांच कर दोषियों की गिरफ्तारी की जा रही है।
कहा, अधिकांश घटनाएं व्यक्तिगत दुश्मनी की
अधिकांश घटनाएं जो हुई हैं, वे व्यक्तिगत दुश्मनी, विवाद, अवैध संबंधों एवं प्रेम प्रसंग के कारण हुई हैं। अगर इन घटनाओं का प्रतिशत कुल आपराधिक घटनाओं से तुलना करें, तो 2021 में व्यक्तिगत दुश्मनी, विवाद, अवैध संबंधों और प्रेम प्रसंग की 1952 घटनाएं हुईं हैं, जो कुल घटी 2799 घटनाओं का 69.73 प्रतिशत है। इसी तरह 2022 में कुल आपराधिक घटनाओं 2930 में 2087 घटनाएं इन्हीं कारणों से हुईं, जो कुल घटना का 71.20 प्रतिशत है। 2023 में कुल आपराधिक घटनाओं 2862 में 2109 घटनाएं इन्हीं अपराधों से संबंधित थी, जो 73.69 प्रतिशत हैं।
बिहार में संज्ञेय अपराध की दर प्रति लाख जनसंख्या पर 277
इस वर्ष 1 जनवरी से 7 अप्रैल तक पुलिस पर हमले के मामलों में 947 दोषियों की गिरफ्तारी की गई है। लूट के मामलों में 697 और डकैती के मामलों में 281 दोषियों को गिरफ्तार किया गया है। राष्ट्रीय अभिलेख रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार, अपराध दर के आधार पर प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर बिहार का देशभर में हत्या के मामलों में 14वां स्थान है। 2019 से 2021 के बीच बिहार में अपराध की दर 2019 में 2.6, 2020 में 2.6 और 2021 में 2.3 दर्ज की गई है। 2022 में भी हत्या के मामलों में अपराध की दर 2.3 ही है, जो पिछले वर्ष से स्थिर है। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022 के दौरान बिहार में कुल संज्ञेय अपराध की दर प्रति एक लाख की आबादी पर 277.1 है। राष्ट्रीय स्तर पर घटित कुल अपराधिक आंकड़ों में प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञेय अपराध की दर 422.2 है। बिहार का देश में 19वां स्थान है। वहीं, 2022 में पूरे देश में प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर कुल अपराध की दर 258.1 है। बिहार में भारतीय दंड विधान के अंतर्गत प्रतिवेदित अपराध की दर 168.1 है। सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में भारतीय दंड विधान के अंतर्गत प्रतिवेदित कुल अपराध की तुलना में बिहार में अपराध दर काफी कम है। इस मामले में बिहार का स्थान 21वां है।
कुछ बड़े राज्यों की तुलना में बिहार में अपराध दर
राष्ट्रीय संज्ञेय अपराध की दर- 422.2
आंध्रप्रदेश- 368.2
छत्तीसगढ़- 404.2
गुजरात- 738.9
हरियाणा- 810.4
केरल- 1274.8
मध्यप्रदेश- 569.3
महाराष्ट्र- 443.0
उड़ीसा- 386.7
राजस्थान- 388.8
तमिलनाडु- 617.2
उत्तर प्रदेश- 322.0
बिहार- 277.1
वाकया – दो
बिहारशरीफ में घंटाघर पर फैलाई जा रही खबरें भ्रामक
नालंदा के जिला मुख्यालय बिहारशरीफ में निर्माणाधीन घंटाघर (वाचटावर) को लेकर कुछ स्थानीय अखबारों और मीडिया हैंडलरों द्वारा भ्रामक खबरों के प्रकाशन और प्रसारण पर बिहारशरीफ के नगर आयुक्त दीपक कुमार मिश्रा ने बुधवार को स्थिति स्पष्ट कर दी है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि बिहारशरीफ में निर्माणाधीन घंटाघर का काम अभी पूरा नहीं हुआ है और ऐसी स्थिति में इसके उद्घाटन की बात पूरी तरह से मनगढ़ंत और भ्रामक है। घंटा घर नाला रोड का एक हिस्सा है और नाला रोड के पूर्णता के पश्चात ही पूरे परियोजना का उद्घाटन किया जाएगा।
घंटाघर के निर्माण पर 40 लाख खर्च सही नहीं
उन्होंने यह भी कहा कि इस निर्माणाधीन घंटाघर को लेकर कुछ स्थानीय अखबारों और मीडिया हैंडलरों द्वारा यह भी बताया गया है कि इस घंटाघर के निर्माण पर 40 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। जबकि इसका निर्माण बहुत ही छोटी धनराशि से किया जा रहा है। नगर आयुक्त ने कहा कि बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी लिमिटेड इस तरह की खबरों का पूरी तरह खंडन करती है। क्योंकि घंटाघर का निर्माण कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। निर्माण कार्य पूरा होने से पहले इसके उद्घाटन की बात भी भ्रामक है। फिलहाल इस घंटाघर के डिजाइन पर काम चल रहा है। बता दें कि कुछ स्थानीय अखबारों ने अपनी खबर में यह भी बताया है कि इस घंटाघर की घड़ी उद्घाटन के महज 24 घंटे के अंदर ही खराब हो गई। जो बिल्कुल भ्रामक है।
नाला रोड का निर्माणकार्य हुए बिना घंटाघर का उद्घाटन संभव नहीं
उन्होंने कहा कि यह घंटाघर बिहारशरीफ में निर्माणाधीन नाला रोड से जुड़ा है। जबतक नाला रोड का निर्माणकार्य पूर्ण नहीं कर लिया जाता, तबतक घंटाघर का उद्घाटन संभव नहीं है। उन्होंने लोगों से इस तरह की भ्रामक खबरों से बचने की सलाह देते हुए कहा कि घंटाघर का निर्माण पूरा होने के बाद ही इसका उद्घाटन किया जाएगा। घंटाघर के निर्माण लागत पर उन्होंने कहा कि खबरों में इसका निर्माण लागत 40 लाख रुपये बताई गई है। ये खबर भी भ्रामक है। जबकि इससे काफी कम खर्च पर इसका निर्माण किया जा रहा है।
वाकया – तीन
बुढ़िया सुखरासी की पूरी खबर को बताया निराधार, भ्रामक और झूठी
मीडिया में 30 मार्च 2025 को कुशेश्वर स्थान प्रखण्ड के बुढ़िया सुखरासी गांव को लेकर भ्रामक, निराधार और झूठी खबर प्रकाशित की गई थी। खबर प्रकाशित होने के बाद दरभंगा के जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के आदेश बिरौल के अनुमंडलाधिकारी और प्रभारी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी को दी थी। इस जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि कुशेश्वर स्थान प्रखण्ड के पूर्वी पंचायत उजुआ सिमरटोका के बुढ़िया सुखरासी गांव के बारे में प्रकाशित खबर में जो भी तथ्य दिए गए हैं, वे सभी मन गढ़ंत और भ्रामक हैं।
आवास योजना की राशि से हथियारों की खरीद गलत
एक मीडिया में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि इस गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना की राशि से बंदूक और हथियारों की खरीद की गई है। जब इस मामले की जांच की गई तो पाया गया कि वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक भी आवास के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित नहीं था। ऐसे में प्रधानमंत्री योजना से मिलने वाली धनराशि से बंदूक और हथियार खरीदने की बात भ्रामक और झूठी है। इसकी पुष्टि कुशेश्वर स्थान के प्रखण्ड विकास पदाधिकारी ने भी की है। उनका स्पष्ट कहना है कि पीएम आवास योजना के तहत उजुआ सिमरटोका पंचायत में एक भी घर के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित ही नहीं था।
दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटना प्रतिवेदित नहीं
इतना ही नहीं, स्थानीय थाना से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार बुढ़िया सुखरासी गांव में दुष्कर्म और छेड़छाड़ की कोई भी घटना प्रवेदित नहीं हुई है। अत: इस गांव में दुष्कर्म और छेड़छाड़ की किसी भी घटना की पुष्टि नहीं होती है। दोनों पदाधिकारियों की रिपोर्ट में आपसी वर्चस्व की लड़ाई में काजल यादव की हत्या की पुष्टि तो की गई है। काजल यादव मूलरूप से सहरसा का रहने वाला था। उसकी हत्या में बुढ़िया सुखरासी के लोगों ने ही मुखबीर की भूमिका निभाई थी। जांच रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कोशी की उपधारा में मछली मारने को लेकर सदा परिवार और साधु यादव के लोगों के बीच वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। यह मामला थाने में भी दर्ज है। इस मामले में एक माह पूर्व ही साधु यादव को गिरफ्तार करके उसे बेनीपुर जेल भेज दिया गया है।
ग्रामीणों में किसी तरह के खौफ का माहौल नहीं
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान समय में बुढ़िया सुखरासी में एक प्राथमिक विद्यालय अवस्थित है। इसके ऊपरी तल्ले पर बीएमपी के सात सशस्त्र जवान कैंप कर रहे हैं। इनमें एक हवलदार और छह सिपाही शामिल हैं। इस वजह से यहां के ग्रामीणों में किसी तरह के खौफ का माहौल नहीं है। इन दोनों पदाधिकारियों की जांच रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि गांव के लोगों के पलायन करने की बात भी पूरी तरह भ्रामक है। इस गांव में सिर्फ एक ही वार्ड (वार्ड संख्या-13) है। वर्ष 2025 के वोटर लिस्ट के अनुसार यहां कुल वोटरों की संख्या 715 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 350 और महिला मतदाताओं की संख्या 365 है। यहां केवल 12 ही ऐसे परिवार हैं जो इस गांव में नहीं रहते हैं। पंचायत उजुआ सिमरटोका के जन वितरण प्रणाली के विक्रेता से यहां के 135 परिवार खाद्यान्नों का उठाव कर रहे हैं। इस गांव में सदा (मुसहर) समुदाय की बहुलता है।
पूरे गांव के लोग पलायन कर गए हैं, भ्रामक खबर
मीडिया में प्रकाशित खबर में बताया गया है कि इस पूरे गांव के लोग पलायन कर गए हैं, जो पूरी तरह भ्रामक है। जांच प्रतिवेदन में कहा गया है कि बुढ़िया सुखरासी गांव में अवस्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य ने अपनी एक रिपोर्ट सौंपकर बताया है कि स्कूल में प्रतिदिन औसतन 45-50 प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति रहती है। उनका कहना है कि डर और खौफ से बच्चों के स्कूल नहीं आने की बात भी खबर में पूरी तरह से निराधार है। बुढ़िया सुखरासी की जांच रिपोर्ट के अनुसार यह बात सही है कि मुसहर समुदाय में जागरूकता की कमी के कारण उनके बच्चों में पढ़ाई को लेकर जागरूकता की कमी है। वैसे भी यह गांव कोशी नदी के बेसिन में बस हुआ जहां हर साल बाढ़ आती है, जिससे आवागमन के लिए रोड आदि का निर्माण नहीं हो सका है। इस गांव में पहुंचने का रास्ता भी कच्ची सड़कों से होकर गुजरता है। यह गांव पूरी तरह कोशी के दियारा क्षेत्र में पड़ता है।