बीआरबीजे न्यूज, पटना, 29 अगस्त, 2025
बिहार विधान सभा चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने सूबे में सभी वर्ग की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और सक्षम बनाने के लिए एक खास योजना शुरू की है। महिलाओं को स्वरोजगार प्रदान करने के लिए पहली बार इस तरह की योजना शुरू की गई है। इसका नाम मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना रखा गया है। इस योजना की घोषणा सियासी मायने में एनडीए सरकार का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है।
कैबिनेट की विशेष बैठक में इस पर लगी मुहर
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को आयोजित राज्य कैबिनेट की विशेष बैठक में इस नई योजना को मंजूरी दी गई। खास बात यह है कि शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह एकमात्र एजेंडा रखा गया था। इस योजना का लाभ चुनाव में एनडीए को मिलना तय माना जा रहा है।
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने दी जानकारी
इसके बारे में विस्तृत जानकारी मुख्य सचिव (सीएस) अमृत लाल मीणा ने सूचना भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में दी। सीएस ने कहा कि 70 हजार महिला समूहों के साथ सरकार ने महिला संवाद किया था। इस दौरान विवाह मंडल का गठन करने के साथ ही महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने से संबंधित काफी संख्या में सुझाव आए थे। इसके मद्देनजर सरकार ने इस योजना की रूपरेख तैयार की है।
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की शुरुआत
इस मौके पर सीएस ने कहा कि मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की जो शुरुआत की गई है, उसके तहत हर परिवार से एक महिला को इस योजना का लाभ दिया जाएगा। इसकी पूरी रूपरेखा जारी होने के बाद क्रियान्वयन शुरू हो जाएगा। 1 सितंबर के बाद से राशि वितरण शुरू कर देने की योजना है। दस हजार रुपये की पहली किस्त देने के बाद आकलन के उपरांत छह महीने बाद संबंधित महिला को 2 लाख रुपये की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी। ग्रामीण विकास विभाग के स्तर से इस योजना की पूरी देखरेख की जा रही है। विभाग इससे संबंधित एक मार्गदर्शिक जल्द जारी करेगा। महिलाओं के स्तर से तैयार किए जाने वाले तमाम उत्पादों की बिक्री या इनके प्रदर्शन के लिए हाट बाजार बनाने की भी योजना है। इसे भी जल्द मूर्तरूप दे दिया जाएगा।
महिलाओं को रोजगार करने के लिए यह लाभ
मुख्य सचिव ने कहा कि यह लाभ महिलाओं को रोजगार करने के लिए दिया जाएगा। ताकि पूरे परिवार की आमदनी बढ़े तथा उनके जीवन स्तर में सुधार हो सके। इससे जहां एक तरफ बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा। दूसरी तरफ लोगों को मजबूरी में रोजगार के लिए बिहार राज्य के बाहर नहीं जाना पड़ेगा। कहा कि राज्य सरकार 2005 से लगातार महिलाओं के लिए दृढ़ संकल्पित होकर काम कर रही है। 2006 में पंचायत चुनाव तथा 2007 में सभी नगर निकायों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने की व्यवस्था लागू की। इसी का परिणाम है कि आज की तारीख में पंचायत से लेकर तमाम नगर निकायों के पद पर 57 फीसदी महिलाएं काबिज हैं।
सरकार की योजनाओं के सकारात्मक परिणाम
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने 2016 में पूर्ण शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया था। इस योजना के लागू हुए 10 वर्ष हो गए और इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। यह कानून भी महिलाओं की मांग पर ही लागू की गई थी। महिलाओं और बालिकाओं के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। इसके अलावा सभी पंचायतों में 12वीं तक के स्कूल के बाद सभी प्रखंड में कॉलेज तथा बालिका पोषाक, छात्रवृत्ति एवं साइकिल योजना निरंतर चलाई जा रही है। सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि दोगुना करते हुए अभी 1.12 करोड़ परिवार को इसका लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 2006 में जीविका का गठन किया गया था। अब तक 11 लाख स्वयं सहायता समूह का गठन किया जा चुका है और 1.40 करोड़ महिला सदस्य इससे जुड़ चुकी हैं।