- सबका सपना पटना में घर हो अपना
बिहार अब तक। डेस्क। पटना।
पटना शहर अपने लोगों के लिए मुलभूत सुविधायें तक उपलब्ध कराने में भी नाकाम साबित होता रहा है, देश में सबसे तेज बढती आबादी वाले राज्य बिहार की राजधानी पटना में जमीन की ज्यादा मांग होने की वजह से यहाँ फ्लैट- मकान की कीमतें आसमान छू रही हैंI आइये नजर डालते हैं पटना में बेशकीमती हुई जमीन के कारणों पर। वर्ष 2019 में महज तीन दिनों की बारिश से डूब जाने वाले पटना शहर में जमीन अति सीमित है और प्रदेश की आबादी के बढ़ने की रफ़्तार भी सबसे तेज हैI
राजधानी में बसे लोगों को मूलभूत सुविधायें तक उपलब्ध कराने में भी नाकाम शहर पटना व्यवस्थित और स्वच्छ नगर के मापदंड से दूर रहने के बावजूद बिहार के लोगों की चाहत होती है कि राजधानी पटना में उसका आशियाना होI पटना में दिल्ली के स्तर का एम्स अस्पताल नहीं है, जेएनयू- दिल्ली विश्वविद्यालय नहीं है, बेंगलुरु- हैदराबाद शहरों जैसे आईटी हब नहीं है और मुंबई की तरह आर्थिक गतिविधि भी नहीं हैI बुनियादी सुविधाओं में तमाम कमियों के बावजूद पटना में फ्लैट- मकान की कीमतें आसमान छूती रही हैंI दिल्ली या फिर दिल्ली से सटे इलाकों में मकान की कीमतों की तुलना में पटना में आशियाना बनाना कहीं ज़्यादा महंगा हैI वास्तुविदों का मानना है कि बिहार के लोग पटना में इसलिए बसना चाहते हैं क्यूंकि यहाँ रहने के बावजूद वह अपनी मूल जगह से ज्यादा जुड़ा रहता है और उसे अपने मूल स्थान से अधिक सुविधा भी उपलब्ध होती हैI यहाँ ज़मीन- मकान खरीदने से लोगों का उनके मूल स्थान से भौगौलिक और भावनात्मक जुड़ाव बना रहता हैI
अतिक्रमण की समस्या स्मार्ट- सिटी की राह में बड़ा रोड़ा
वास्तुविदों का मत है कि ” पटना एक पुराना शहर है और नए पटना के लिए टाउन प्लानिंग को लेकर संबंधित विभाग संवेदनशील नहीं रहे हैंI अतिक्रमण की समस्या स्मार्ट- सिटी बनाने में बड़ा रोड़ा रहा हैI थोड़ी सी बारिश में शहर के कुछ हिस्से डूब जाते हैं और यह समस्या कई दशक से बनी हुई हैI सरकार को यह मालूम है, लेकिन इस पॉइंट पर सरकार विफल रही हैI राज्य के अन्य जिला मुख्यालयों की तुलना में पटना में सुविधायें ज्यादा हैंI यहाँ बेहतर स्कूल- कॉलेज, अस्पताल हैं इसलिए राज्य के अन्य हिस्सों के लोग यहाँ आकर बसते हैंI पटना में महंगी जमीन रहने का एक कारण यह हैI दूसरा कारण सर्किल रेट (सरकारी दर) और बाजार भाव में भारी अंतर रहना हैI जमीन का सरकारी भाव कम रहना और बाजार मूल्य अधिक रहने से एक ख़ास तबके के लिए ज़मीन में निवेश करना आसान होता हैI इस कारण भी यहाँ जमीन की दर महंगी है I” वास्तुविदों की बातों से स्पष्ट है कि बाजार और सरकारी भाव में भारी अंतर पटना में जमीन- मकान में काले धन को निवेश करने के रास्ते आसान बनाते रहे हैंI
नोटबंदी के बाद जमीन का बाजार भाव सर्किल रेट की तुलना में कम
उधर कर सलाहकारों का मानना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के नवंबर, 2016 में नोटबंदी लागू करने के बाद जमीन का बाजार भाव सर्किल रेट की तुलना में कम हो गयाI नोटबंदी के बाद जमीन के भाव के संदर्भ में बात पहले की तरह नहीं रहीI साथ ही कड़े बिल्डिंग बायलोज, मकान का नक्शा पास कराने की पेचीदगी आदि कारणों से जमीन का बाजार भाव या तो स्थिर हो गया.या कम हो गयाI उनका कहना है कि “ पटना में जिस दो कट्ठे की जमीन का भाव नोटबंदी के पहले दो करोड़ रुपये था वह आज भी उसी दर में बिक रहा हैI इससे जाहिर है कि नोटबंदी के बाद काले धन को होल्ड कर लिया गया हैI इससे पटना में जमीन का भाव स्थिर हो गया है ”I
अर्थशास्त्रियों की नजर में पटना में आसमान छूते दाम के कारण
वहीँ अर्थशास्त्री पटना में आसमान छूते जमीन के दाम के दो कारण गिनाते हैंI उनके अनुसार “ अन्य राज्यों की तुलना में बिहार का जनसँख्या घनत्व सबसे अधिक हैI यहाँ करीब 1100 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में लोग रहते- बसते हैं जबकि राष्ट्रीय औसत 350 का हैI वहीँ पटना में 1850 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर में हैंI ऐसे में आवासीय भूमि की भारी कमी हैI पिछले एक दशक से अधिक की अवधि में बिहार का बजट चार हज़ार करोड़ से बढ़कर दो लाख करोड़ का हो गया हैI इस दौरान खासा निर्माण कार्य हुआ है जिसके लिए बनने वाले डीपीआर में 10 से 11 प्रतिशत की राशि बतौर मुनाफा वैद्य रूप से मिलता हैI इससे एक बहुत बड़ी राशि बाजार में आती हैI
सरकारी योजनाओं से जुड़ी राशि का 30 प्रतिशत भ्रष्टाचार की भेंट
दूसरी ओर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने 90 के दशक में एक रिपोर्ट दिया था जिसमे कहा गया था कि सरकारी योजनाओं से जुड़ी राशि का 30 प्रतिशत भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता हैI अगर इसे 20 प्रतिशत भी मान लिया जाए तो इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है कि इतने दिनों में कितना काला धन बाजार में आया होगाI पटना में जमीन महंगा होने का यह मुख्य कारण है, जिसे लोग खरीदने को तैयार हैं, जबकि भूमि की उपलब्धता अति- सीमित है ”I अर्थशास्त्रियों की बातों से जाहिर है कि भ्रष्टाचार को रोकने में यहाँ की सरकारें लगातार विफल रही हैंI इससे लगातार अकूत काला धन पैदा होता रहा है और इस काले धन को निवेश करने का सबसे सुगम रास्ता अमीर लोगों को जमीन- मकान में नजर आता हैI
ज्यादातर हिस्सों में पटना का योजनाबद्ध तरीके से विकास नहीं हो पाया
वहीं राज्य के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी रहे लोग बताते हैं कि ” सरकार ने एक- आध अपवादों जैसे राजेन्द्र नगर- कंकड़बाग के कुछ हिस्से को छोड़ कर पटना शहर को विकसित नहीं कियाI पटना में शहरी विकास को लेकर सरकार ने कुछ नहीं किया हैI यह शहर कुछ लोगों के निजी प्रयास से विकसित हुआ है और ज्यादातर हिस्सों में पटना का योजनाबद्ध तरीके से विकास नहीं हो पाया हैI यहाँ बेहतर स्वास्थ्य- शिक्षा की व्यवस्था है और कुछ हद तक व्यापार भी हैI जब बिहार का हर एक आदमी पटना में बसना चाहेगा तो उतनी ज़मीन उपलब्ध कहाँ से होगीI ज़ाहिर है ज़मीन की कीमत इससे बढ़ेगी I” इनका मानना है कि ” पटना में इतनी महँगी ज़मीन कहीं से तार्किक नहीं हैI चूँकि सरकार की ओर से शहर को विकसित करने और मोहल्ले बसाने के लिए कोई योजना नहीं है इसलिए सड़क- बिजली- नाले हो या न हो लोग इसकी चिंता किये बगैर जमीन ख़रीदते हैंI यह सब अत्यधिक मांग और न्यूनतम आपूर्ति क्षमता पर ही आधारित हैI इस कारण भी ज़मीन के दर आसमान छू रहे हैं I”
पटना के शहरीकरण की समस्या जनसंख्या से जुड़ी
पटना के शहरीकरण की समस्या जनसंख्या से जुड़ी हैI अतिरिक्त जनसंख्या को समाहित करने के लिए अतिरिक्त साधन चाहियेI इसके लिए आर्थिक साधन और जमीन चाहिये, लेकिन दुर्भाग्यवश पटना के संदर्भ में ज़मीन की समस्या बहुत गंभीर हैI पटना शहर को पूरब की ओर विस्तारित नहीं किया जा सकता क्योंकि उधर पुराना पटना है, पश्चिम में मिलिट्री कैंटोनमेंट है, उत्तर दिशा में गंगा नदी है और दक्षिण की ओर की ज़मीन काफी नीचे हैI पटना में फ्लाई- ओवर बनाने के लिए काफ़ी खर्च किया गया, लेकिन उस तुलना में ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान नहीं दिया गयाI प्राथमिकता ही गलत हैI ”
जो लोग बाहर नहीं जा पाते वे पटना का रुख करते हैं
पिछड़ेपन और संसाधनों के अभाव के चलते रोज़ी रोटी की तलाश में या फिर बेहतर मौकों की तलाश में पूरे बिहार से लोग भारत के महानगरों या फिर बड़े शहरों का रुख करते हैं, लेकिन जो लोग राज्य से बाहर नहीं जा पाते हैं वो राजधानी होने के चलते पटना का रुख करते हैं और फिर यहीं बसने की कोशिश करते हैंI किसी भी पिछड़े राज्य में जहाँ इंडस्ट्री नहीं है वहां गैर- कृषि गतिविधि सेवा क्षेत्र में ही होता हैI सेवा क्षेत्र शुरूआती दौर में वहीँ विकसित होता है जहाँ प्रशासनिक मुख्यालय होI पटना के संदर्भ में भी यही हो रहा हैI यहाँ बैंक, अस्पताल, यूनिवर्सिटी आदि हैं जिसका फ़ायदा लेने के लिए राज्य के दूसरे शहरों से लोग पटना में पलायन कर रहे हैंI उस तुलना में जमीन की आपूर्ति नहीं हो पा रही जबकि पलायन हर दिन हो रहा हैI इसलिए जमीन की वैल्यू बढ़ रही है I”