- लगाया आरोप, उनसे बिहार सम्भल नहीं रहा, माफिया हावी, विकास ठप
- बनारस की तरह उनकी झारखंड और हरियाणा की सभाएँ भी रद होंगी
- बिहार से बाहर जदयू का कोई प्रभाव नहीं, न विधायक और न सांसद
- जदयू अध्यक्ष शौक से देश भर में जाएँ, भाजपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा
पटना। पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार को नसीहत दी है कि उन्होंने जब जदयू अध्यक्ष का पद स्वीकार कर राष्ट्रीय राजनीति में जाने का निश्चय पक्का कर लिया है, तब पूरी ताकत से वही काम करें और बिहार के मुख्यमंत्री का पद किसी अन्य को सौंप दें। कहा कि किसी पार्टी के नाम या उसके शीर्ष पद के साथ “राष्ट्रीय” शब्द जोड़ लेने भर से ऐसे दल के अध्यक्ष को जनता राष्ट्रीय नेता नहीं मान लेती, लेकिन लोकतंत्र में कोई किसी को भ्रम पालने से रोक तो सकता नहीं है।
श्री मोदी ने सवाल किया है कि स्वास्थ्य संबंधी कारणों से जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के एक पद के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं और परिणाम-स्वरूप राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बदतर होती जा रही है, पुलिस पर हमले हो रहे हैं, शासन पर बालू-शराब माफिया हावी हैं और विकास ठप है, तब वे एक साथ दो बड़े पदों का दायित्व कैसे निभायेंगे? उन्होंने कहा कि यदि वे दोनों पदों पर बने रहते हैं, तो उनके देश-व्यापी दौरे से भाजपा को तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बिहार की शासन व्यवस्था और चौपट होगी।
श्री मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार मात्र 44 विधायकों की तीसरे नंबर की एक क्षेत्रीय पार्टी के नेता हैं। बिहार के बाहर न उनका कोई प्रभाव है, न दूसरे राज्य में जदयू का कोई सांसद-विधायक है। उन्होंने कहा कि बिहार से सटे यूपी के बनारस में तो नीतीश कुमार को रैली स्थगित करनी पड़ी क्योंकि भीड़ नहीं जुटने का अंदेशा था। झारखंड और हरियाणा में इनको सुनने कौन आएगा?वहां भी शो रद करना पड़ सकता है।