बीआरबीजे न्यूज, पटना। समस्तीपुर का चुनावी जंग काफी रोचक हो गया है। यहां जदयू के दो कद्दावर नेता जो बिहार सरकार में मंत्री भी हैं, की संतानों के बीच सीधा मुकाबला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दरभंगा के चुनावी मंच से शाम्भवी चौधरी के लिए जनता से जीत का आशीर्वाद मांगा है। देखना होगा कि जनता पीएम की अपील कितना मानती है। शाम्भवी राज्य सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्यरी नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले अशोक चौधरी की बेटी हैं। वे एनडीए खेमे से लोकसभा के चुनावी मैदान में लोजपा (रा) की उम्मीदवार हैं।
दूसरी ओर, सन्नी हजारी के पिता महेश्वर हजारी भी बिहार सरकार में मंत्री हैं और जदयू के वरिष्ठ नेता हैं। बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। सीएम नीतीश कुमार के ताजा पाला पलट के बाद उनकी सरकार के विश्वासमत हासिल करने के वक्त वही सदन में आसन पर थे। वह खुद भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक थे। मगर, एनडीए से उनकी बात बनी नहीं। अंतत: अब उनका बेटा सन्नी हजारी कांग्रेस के टिकट यानी प्रतिद्वंद्वी खेमे इंडिया गठबंधन या कहें बिहार के महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। रोचक तथ्य यह है कि पिता सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए की सरकार में मंत्री हैं और बेटा विरोधी महागठबंधन से चुनाव मैदान में हैं। फिलहाल महेश्वर हजारी पर इसे लेकर कोई सवाल नहीं उठा है। लेकिन, नतीजे आने के बाद उन पर उंगली उठनी तय है। वैसे, समस्तीपुर और पटना में जद (यू) नेता मानते हैं कि अपने बेटे के अभियान में हज़ारी की रुचि के कारण, समस्तीपुर की लड़ाई तेज़ी से जद (यू) बनाम जद (यू) की लड़ाई बनती जा रही है।
चिराग ने महेश्वर लगाए गंभी आरोप
महेश्वर हज़ारी समस्तीपुर के सांसद रह चुके हैं। वह लोजपा के संस्थापक स्वर्गीय राम विलास पासवान के चचेरे भाई हैं। इनके बेटे चिराग पासवान अब लोजपा (रा) के प्रमुख हैं। चिराग एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन, सियासी कारणों से ज़मीनी स्तर पर लोजपा और जदयू कार्यकर्ताओं के बीच कड़वाहट कितनी दूर हुई है, यह वक्त बताएगा। शांभवी को पारस के नेतृत्व वाले गुट के निवर्तमान सांसद प्रिंस राज के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर से भी निपटना होगा। चिराग महेश्वर हज़ारी पर वर्ष 2021 में लोजपा के विभाजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आरोप लगा चुके हैं। कांग्रेस द्वारा सन्नी हज़ारी को उम्मीदवार घोषित करने के बाद चिराग ने कहा था, कांग्रेस उम्मीदवार के पिता ने हमेशा मेरे पिता के खिलाफ काम किया और मेरे परिवार को भी विभाजित किया।
महेश्वर और अशोक राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी
बहरहाल, महेश्वर हजारी और अशोक चौधरी दोनों राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी हैं। वैसे तो दोनों ही गठबंधन अपने अपने उम्मीदवार के लिए जोर लगा रहे हैं। मगर, स्थानीय होने के कारण समस्तीपुर के जंग में अपने बेटे के लिए हजारी अधिक कारगर भूमिका निभा रहे हैं। उनको कहां कौन सा वोटर है, उनको हर उस पॉकेट की खबर है और उनके लोग वहां जाकर सन्नी के पक्ष में गोलबंदी के लिए संपर्क कर रहे हैं। यह भी चर्चा है कि रात में अंधेरे में सन्नी के लिए उन गांवों में प्रचार हो रहा है, जहां उनकी जाति के सदस्यों, पासवानों का वर्चस्व है।
सन्नी के पक्ष में
इस संसदीय चुनाव में बाहरी और स्थानीय का मुद्दा भी जोरों से उछल रहा है। शाम्भवी को जहां बाहरी बताया जा रहा है, वहीं, सन्नी को स्थानीय। एक और मुद्दा शाम्भवी के खिलाफ सामाजिक समीकरण को लक्ष्य कर उछाला जा रहा है और वह है, उनका पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का बहु होना। किशोर कुणाल सवर्ण समुदाय से आते हैं। वहीं, समस्तीपुर सुरक्षित सीट है। हालांकि यह मुद्दा सन्नी को कितना लाभ पहुंचाएगा, देखना होगा।
शाम्भवी के पक्ष में
बाहरी’ के टैग के बावजूद ‘मोदी फैक्टर’ शांभवी की मदद कर सकता है। इसके अलावा, जदयू प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शांभवी के लिए अधिकतम समर्थन सुनिश्चित करने में लगे हैं। इसके तहत पार्टी के वरिष्ठ नेता लोगों की नाराजगी दूर करने की कोशिश में जुटे हैं। क्षेत्र में पासवान समाज के लोग रामविलास पासवान को अपना नेता मानते थे और अब चिराग पासवान को अपने पिता की विरासत के उत्तराधिकारी के रूप में पहचानते हैं।
13 को है मतदान
समस्तीपुर राजधानी पटना से 80 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में है। इस साल जनवरी में यह उस समय सुर्खियों में आया जब बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनका जन्म इसी क्षेत्र में हुआ था। इस लोकसभा क्षेत्र के लिए 13 मई को मतदान होना है।