लालू के तेवर से सकते में महागठबंधन, क्या नीतीश को पहले ही हो गया था आभास
भोला नाथ
पटना। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के मिजाज ने सियासी सरगर्मी बढ़ा दी है। बिहार में विपक्षी महागठबंधन के घटक दल सकते हैं। खासकर राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस के तो अस्तित्व पर ही सवाल उठ रहे हैं। महागठबंधन में सीटों के तालमेल पर दलों के बीच बिना सहमति के ही लालू प्रसाद ने कई लोकसभा क्षेत्रों के लिए राजद उम्मीदवारों के सिम्बल बांट दिए हैं।
राजद के सामने कांग्रेस का कद काफी बौना
इनमें पूर्णिया, औरंगाबाद जैसी कई सीटें कांग्रेस के दावे वाली भी हैं। लालू प्रसाद के रुख से कांग्रेस परेशानी में है। बल्कि यूं कहें कि राजद के सामने उसका कद काफी बौना हो गया है। उसे अपने दल के नेताओं – कार्यकर्ताओं को जवाब देना भारी पड़ रहा है। पहले चरण के नामांकन के अंतिम दिन महागठबंधन में सीटों पर सहमति बनने की खबर आई। इस बीच पहले चरण की चारों सीटों – औरंगाबाद, गया, जमुई और नवादा में राजद के चारों उम्मीदवारों ने नामांकन भी कर दिए।
आज महागठबंधन की सीटों का विधिवत एलान
महागठबंधन में सीटों पर सहमति की जो खबरें आ रही हैं, उसके मुताबिक बिहार की 40 लोकसभा सीटों में राजद के खाते में 26, कांग्रेस के खाते में 9 और वामदलों के खाते में 5 गई है। इसे लेकर राजद की तरफ से 29 मार्च यानी शुक्रवार को उसके दफ्तर में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई गई है। इसमें महागठबंधन के घटक दल भी शामिल होंगे और सीटों का विधिवत एलान हो जाएगा।
लालू के तेवर से तमाम सियासी दल चकित
सवाल यह है कि लालू प्रसाद ने घटक दलों के बीच बिना तालमेल के ही अपने उम्मीदवारों को जिस तरह सिम्बल पकड़ा दिए, उसे आखिर क्या कहा जाएगा। क्या यह गठबंधन की राजनीति के अनुकूल है? लालू के इस तेवर से तमाम सियासी दल चकित हैं।
समय रहते नीतीश ने लालू का दामन झटका
ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लालू प्रसाद के इस तरह के रुख का पहले से आभास हो गया था और समय रहते उन्होंने लालू प्रसाद का दामन झटक दिया। यह अलग बात है कि अपने इस फैसले के लिए नीतीश कुमार की देश भर में आलोचना हुई। मगर, लालू ने लोकसभा चुनाव -2024 के लिए सीटों के बंटवारे में घटक दलों को जिस तरह अगूंठा दिखाया है और उनको अपनी औकात बताई है, उसके बरअक्स देखें तो नीतीश कुमार का फैसला सही जान पड़ता है।
किस सीट पर कौन दमदार
अब किस सीट पर कौन दमदार इसका भी आकलन करना होगा। यह मानने से किसे गुरेज होगा कि पूर्णिया में बीमा भारती के मुकाबले पप्पू यादव मजबूत उम्मीदवार हैं। मगर, राजद ने सिम्बल बीमा को थमा दिया और पप्पू को कांग्रेस में शामिल कराने वाले नेता कुछ न कर सके। भले कांग्रेस इसकी विधिवत इसकी घोषणा न की है, मगर इससे किसे इंकार होगा कि पप्पू को कांग्रेस में लाने की डील ही पूर्णिया सीट उनको देने की थी। उधर, औरंगाबाद सीट पर राजद उम्मीदवार उतारने को लेकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता निखिल कुमार की नाराजगी सामने आ चुकी है। यहां से एनडीए (भाजपा) से सुशील कुमार सिंह उम्मीदवार हैं। सामने उसी समाज से निखिल कुमार होते तो मुकाबला दिलचस्प होता, मगर वहां से राजद के अभय कुशवाहा ताल ठोकेंगे।
नवादा में राजवल्लभ परिवार की दावेदारी समाप्त
इसी तरह नवादा में राजवल्लभ यादव के परिवार की दावेदारी काटकर राजद ने श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही वहां महागठबंधन में राजवल्लभ परिवार की दावेदारी समाप्त हो गई है। बताया जाता है कि वरिष्ठ नेता तारिक अनवर के हिस्से की कटिहार सीट भी कांग्रेस बड़ी मुश्किल से राजद के जबड़े से निकालकर लाई है।