पटना: भाजपा पर अतिपिछड़ा विरोधी पार्टी होने का आरोप लगाते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव व प्रवक्ता राजीव रंजन ने आज एक्स हैंडल के जरिये उनसे कई सवाल पूछे हैं. अपने पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि खुद को पार्टी का कर्णधार समझने वाले चंद नेताओं के चंगुल में फंसी भाजपा अतिपिछड़ा विरोधी मानसिकता के नेताओं का अड्डा बन चुकी है. पार्टी पर कब्जा जमाए सामंती विचारधारा के नेताओं ने अतिपिछड़ा समाज के नेताओं का जीना दूभर कर दिया है. अतिपिछड़ा समाज के नेताओं को हर बात पर अपमानित किया जाता है. हालात ऐसे हैं कि उन्हें अतिपिछड़ा समाज के महापुरुषों की जयंती मनाने की अनुमति तक नहीं है. यहां तक कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर जैसी महान हस्ती की जयंती मनाने से भी रोका जाता है. उनके बजाए उन्हें दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर मनाने पर ज़ोर दिया जाता है.
सवाल पूछते हुए उन्होंने लिखा है कि भाजपा बताये कि अतिपिछड़े समाज के नेताओं को कर्पूरी ठाकुर की जयंती क्यों नहीं मनानी चाहिए? उन्हें बताना चाहिए कि आखिर किस मामले में कर्पूरी ठाकुर जी का योगदान दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी से कमतर है? भाजपा बताये कि अगर उनके मन में अतिपिछड़ा समाज के महापुरुषों के प्रति सम्मान नहीं है तो वह क्यों इस समाज के हितैषी होने का ढोंग करते हैं?
जदयू महासचिव ने लिखा है कि भाजपा की इसी मानसिकता से आजिज आ कर इनके इनके अतिपिछड़ा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष त्यागपत्र देकर पार्टी से चले गये थे. उन्होंने अपने त्याग पत्र में इन सब का बातों का उल्लेख भी किया था. उन्होंने साफ़ लिखा था कि भाजपा के बड़े नेता अतिपिछड़ा समाज से आने वाले नेताओं पर न तो विश्वास करते हैं और न ही उन्हें देखना चाहते हैं. जब भाजपा के अतिपिछड़ा समाज के इतने बड़े नेता ऐसा महसूस कर चुके हैं तो इस समाज के अन्य कार्यकर्ताओं की पीड़ा स्वत: समझी जा सकती है.