पटना, 13 अप्रैल, 2024 : अशफाक करीम के बाद एक और बड़े नेता ने राजद को तगड़ा झटका दिया है। यह बड़े नेता हैं बिहार सरकार के पूर्व मंत्री और चर्चित नेता वृशिण पटेल। इन्होंने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से अपने मोहभंग होने का कारण भी बता दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या लालू प्रसाद जैसे बड़े समाजवादी नेता की विचारधारा में कोई बदलाव आ गया है या फिर राजद की नीतियों या नेतृत्व में परिवर्तन का असर है। आखिर क्यों कभी लालू प्रसाद के काफी करीब माने जाने वाले नेता अब उनसे एक-एक कर किनारा करने लगे हैं। या फिर यह महज चुनावी या कहें सीजनल मोहभंग है, जो अक्सर टिकट नहीं मिलने से पैदा होता है।
पूर्व मंत्री वृषिण पटेल ने छोड़ी राजद
बिहार के पूर्व मंत्री वृषिण पटेल ने राजद की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा है कि वह बहुत दुखी मन से इस्तीफा दे रहे हैं। कारण यह बताया है कि अब राजद में समर्पित कार्यकर्ता की कोई जगह नही है। श्री पटेल ने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को लिखे पत्र में आरोप लगाया है कि राजद को अब समर्पित कार्यकर्ताओं की कोई जरूरत नहीं है। और न ही इस दल को अब सामाजिक न्याय और सांप्रदायिक सद्भाव में अब आस्था है। मालूम हो कि श्री पटेल जदयू में नीतीश कुमार के साथ भी रह चुके हैं। श्री पटेल की कोई चुनावी महत्वाकांक्षा भी थी, इसका खुलासा अभी नहीं हुआ है।
अशफाक करीम ने भी इस्तीफा दे दिया
इससे एक दिन पहले राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद अशफाक करीम ने भी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कटिहार से आने वाले अशफाक करीम ने मुसलमानों की हकमारी का आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दिया है। अशफाक को न तो राज्यसभा भेजा गया और न ही उन्हें लोकसभा का टिकट मिला। इसे लेकर अशफाक करीम पार्टी से लगातार नाराज चल रहे थे। उहोंने राजद प्रमुख लालू प्रसाद को अपना त्यागपत्र सौंपा। बताया जा रहा है कि अशफाक करीम का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद राजद ने उन्हें कटिहार से लोकसभा प्रत्याशी बनाने का वादा किया था, लेकिन यह सीट महागठबंधन में सीट बंटवारे में कांग्रेस के खाते में चली गई। कांग्रेस ने यहां से तारिक अनवर को उम्मीदवार बनाया है।
अशफाक ने मुसलमानों की हकमारी का लगाया आरोप
लालू प्रसाद को भेजे गए अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा है कि आपने मुसलमानों की हकमारी की है। उन्हें आबादी के अनुरूप तो दूर सम्मानजनक हिस्सेदारी भी नहीं दी गई। ऐसी हालत में राजद के साथ राजनीति करना मेरे लिए असंभव है।