जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना और तीन लिपिक निलंबित
पटना डीईओ और दो प्रधान लिपिकों से स्पष्टीकरण मांगा गया
बीआरबीजे न्यूज, पटना, 20 जुलाई, 2024.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डा. एस सिद्धार्थ को पटना के जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय में पदस्थापित पदाधिकारियों/कर्मियों द्वारा अनियमितता बरते जाने के संबंध में शिकायतें मिली थीं। इसके मद्देनजर उन्होंने हकीकत की जाँच 15 जुलाई को वहीं जाकर की। निरीक्षण के क्रम में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना में पदस्थापित लिपिकों द्वारा जिले के शिक्षक / शिक्षिकाओं से प्राप्त मातृत्व अवकाश / बकाया वेतन आदि के भुगतान से संबंधित संचिकाओं की जाँच की गयी। जाँच के क्रम में पायी गयी विसंगतियों के लिये जिम्मेदार पदाधिकारियों/कर्मियों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गयी है। इनमें पटना डीईओ से शोकॉज मांगा गया है। वहीं, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना अरुण कुमार मिश्रा को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही, तीन लिपिकों को भी निलम्बित किया गया है। वहीं, दो प्रधान लिपिकों से स्पष्टीकरण मांगा गया है।
जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, पटना में पूर्व में पदस्थापित रहे 02 लिपिकों दिलीप कुमार एवं गोपाल कुमार जो गत 6 जुलाई को स्थानान्तरण के उपरांत जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, भोजपुर में कार्यरत हैं, द्वारा अपने प्रतिस्थानी लिपिकों को 15 जुलाई तक प्रभार नहीं सौंपा गया था। इस कारण उनके प्रतिस्थानी द्वारा निरीक्षण के क्रम में विशेष सचिव, शिक्षा विभाग द्वारा मांगे गये अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए। कालांतर में देर शाम को उक्त दोनों लिपिक जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, पटना में उपस्थित होकर संगत दस्तावेज उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही वर्णित दोनों लिपिकों दिलीप कुमार एवं गोपाल कुमार द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, पटना में पदस्थापन के दौरान अपने पटल पर आवंटित कार्यों का निष्पादन मनमाने पूर्ण तरीके से नियमों की उपेक्षा करते हुये किये जाने का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
इसके अलावा एक अन्य लिपिक सुनील कुमार के संबंध में निरीक्षण के दौरान ही माध्यमिक विद्यालयों के कुछ शिक्षकों द्वारा यह आरोप लगाया गया कि उनके वेतन भुगतान के क्रम में आयकर कटौती के मद में कटौती की गयी राशि को आयकर अधिनियम की गलत धारा 194 में बुक कर दिया गया है, जबकि उक्त कटौती को धारा 192 के अंतर्गत बुक किया जाना चाहिए था। निदेशानुसार उपरोक्त अनियमितता के लिये वर्णित तीनों लिपिकों गोपाल कुमार, दिलीप कुमार एवं सुनील कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुये उन्हें विभागीय कार्यवाही के अधीन किये जाने का निदेश क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, पटना प्रमंडल, पटना को दिया दिया गया।
वहीं, विशेष सचिव, शिक्षा विभाग द्वारा निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, पटना में मातृत्व अवकाश एवं बकाया भुगतान संबंधि आवेदन की प्राप्ति/निष्पादन की तिथि के संबंध में कोई रजिस्टर / पंजी मेंटेन नहीं किया जाता है। संबंधित संचिका के अवलोकन से यह पता चला कि कतिपय शिक्षकों से प्राप्त आवेदन की मूल प्रति संचिका में संधारित नहीं है। संचिका के टिप्पणी भाग में आवेदन प्राप्त होने की तिथि का कोई उल्लेख नहीं है। संचिका प्रभारी लिपिक द्वारा प्रधान लिपिक को भेजे बिना सीधे-सीधे जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना को पृष्ठांकित कर अनुमोदन प्राप्त किया जाता था।
प्रस्तावित कार्रवाई के स्वीकृति पदाधिकारी अर्थात जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना के द्वारा सामान्यतः किसी भी संचिका में कहीं भी बरती गयी अनियमितता जैसे प्रधान लिपिक की उपेक्षा कर संचिका सीधे क्यों प्रस्तुत की गयी, आवेदन कब प्राप्त हुआ तथा आवेदन इतने विलंब से क्यों प्रस्तुत किया गया आदि के संबंध में कोई पृच्छा नहीं की गयी। आश्चर्यजनक रुप से अधिकांश मामलों में जिस तिथि को संचिका उपस्थापित की गयी, उसी तिथि को भुगतान कर दिया गया। इससे स्पष्ट होता है कि संचिका का निष्पादन बेहद गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया गया।
इस लापरवाही एवं समुचित अनुश्रवण नहीं किये जाने के लिये प्राथमिक शिक्षकों की स्थापना के प्रधान लिपिक करुण कुमार सिन्हा एवं माध्यमिक शिक्षकों की स्थापना के प्रधान लिपिक आलोक कुमार वर्मा को जिम्मेदार बताया गया है। निदेशानुसार उपरोक्त वर्णित दोनों प्रधान लिपिकों से स्पष्टीकरण प्राप्त करते हुये समुचित विभागीय कार्यवाही किये जाने का निदेश क्षेत्रीय उप निदेशक, पटना प्रमंडल, पटना को भेजे जाने वाले पत्र में किया जाना है, जिसका अनुपालन रक्षित पत्र में कर दिया गया है।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना द्वारा शिक्षकों को किये जाने वाले इस प्रकार के भुगतान में संबंधित लिपिकों के कार्यों की समीक्षा प्राप्त आवेदन एवं अन्य संगत दस्तावेजों से की जानी चाहिए थी, इसके लिये समय-समय पर समीक्षा बैठक का आयोजन भी किया जाना अपेक्षित था ताकि लंबित भुगतान का ससमय निष्पादन हो सके। परंतु ऐसी किसी बैठक अथवा अनुश्रवण किये जाने का कोई साक्ष्य निरीक्षण के क्रम में प्रस्तुत नहीं किया गया। वरीय पदाधिकारियों यथा जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना द्वारा शिक्षकों / गैर शैक्षणिक कर्मियों के भुगतान में बरती जा रही शिथिलता का अनुश्रवण होना चाहिए था, वह नहीं हुआ है। इस कारण लिपिकों द्वारा अपने हिसाब से संचिका का निष्पादन एवं भुगतान किया गया।
वर्णित अनियमितता के लिये अधिकारी स्तर पर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना, अरुण कुमार मिश्रा की भूमिका को संदेहास्पद बताया गया है। श्री मिश्रा द्वारा अपने कार्य में घोर शिथिलता बरती गयी है। श्री मिश्रा द्वारा समय-समय पर पर्यवेक्षण किया जाना चाहिये था, ताकि कार्यों का त्वरित निष्पादन हो सके। परंतु उनके द्वारा ऐसा नहीं किया गया। अतएव कार्य के प्रति लापरवाही और शिथिलता के लिये जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, स्थापना, पटना अरुण कुमार मिश्रा को निलंबित किया गया। अनुश्रवण में लापरवाही एवं अपने अधिनस्थ अनुभागों के पर्यवेक्षण संबंधी दायित्वों के निर्वहन में चूक के लिये जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना के विरूद्ध नियमानुसार युक्तियुक्त कार्रवाई किये जाने की अनुशंसा प्रतिवेदन में की गयी। निदेशानुसार प्राप्त अनुशंसा के आलोक में जिला शिक्षा पदाधिकारी, पटना से स्पष्टीकरण मांगा गया है।