बीआरबीजे न्यूज, पटना, 28 जुलाई, 2025 :
करीब साढे चार साल पहले 8 फरवरी, 2021 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जब पटना मेडिकल कालेज अस्पताल (पीएमसीएच-PMCH) की आधुनिक संरचना की आधारशिला रखी थी तो उन्होंने कहा था कि यह स्टेट ऑफ द आर्ट (state of the art) हास्पीटल बनेगा। तब लोगों के मन में संशय था। लगा था कि क्या कोई सरकारी अस्पताल ऐसा भी बन सकता है? लेकिन, अभी नए पीएमसीएच का जो हिस्सा बनकर तैयार हुआ है, उसका जाकर जरा दीदार कीजिए। आपके मुंह से खुद ब खुद निकल जाएगा… वाह !! क्या बात है !! विश्वास न हो तो जाइए और आजमा लीजिए। इस हिस्से में विभिन्न विभागों की ओपीडी की सुविधाएं भी शुरू हो गई हैं। इस कारण ओपीडी में पहले जो 2000 मरीज प्रतिदिन आते थे, अब डयोढ़ा यानी 3000 पहुंच रहे हैं। खास बात यह कि सेंट्रलाइज्ड एसी और एक ही छत के नीचे उनको कई सारी सुविधाएं मिल रही हैं। भव्यता, विशाल एरिया (क्षेत्रफल) और सुविधाओं के लिहाज से देखें तो अपने पीएमसीएच के सामने पटना समेत पूरे बिहार के न तो कोई निजी और न ही कोई सरकारी अस्पताल टिक रहे हैं।
पीएमसीएच का नवनिर्मित पहला टावर
जेपी पथ की ओर से मुख्य द्वार
1st फेज के दो टावरों का निर्माण लगभग पूरा, ये हैं सुविधाएं
निर्माण एजेंसी लार्सन एंड टूब्रो (L&T) ने 1st फेज के दो टावरों का निर्माण लगभग पूरा कर लिया है। इसी साल गत 3 मई को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की मौजूदगी में इसका उद्घाटन किया। इसके बाद चली इनमें विभिन्न विभागों को शिफ्ट करने की मशक्कत। दोनों टावर 9 मंजिला हैं। इनमें बेसमेंट, पोडियम और टैरेस को जोड़ दें तो ये 12 फ्लोर हो जाते हैं। इन दोनों का क्षेत्रफल लगभग 92 हजार वर्ग मीटर है। टावर में लगभग 1050 बेड, 65 प्राइवेट रूम, 65 ही आईसीयू बेड, 50 पोस्ट ऑपरेटिव बेड और निक्कू वार्ड में 58 बेड. 27 मॉड्यूलर ओटी और इनके लिए 27 ही वर्क स्टेशन हैं। इसके साथ ही, 15 बॉयल आपरेटस भी ओटी में आ चुके हैं। लिहाजा अब निश्चेतना को लेकर आ रही समस्या हफ्ते – 10 दिन में दूर हो जाएगी।
ओपीडी के मुख्य विभाग
अत्याधुनिक वर्क स्टेशन
पहले टावर के 3rd फ्लोर पर ये 11 विभाग शिफ्ट हुए
फिलहाल यहां पहले टावर के 3rd फ्लोर पर 11 विभागों के ओपीडी शिफ्ट हुए हैं। इनमें मेडिसिन, पेडिएट्रिक (शिशु), गाइनी (स्त्री एवं प्रसूति रोग), आई (नेत्र), ईएनटी (नाक, कान और गला), कार्डियोलॉजी (हृदय रोग), स्किन-वीडी (त्वचा और यौन रोग), पीएसएम (निवारक एवं सामाजिक चिकित्सा), पीएमआर (शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास), जेरिएट्रिक (वरिष्ठ नागरिक), डेन्टल (दंत चिकित्सा) विभाग हैं।
मरीजों के लिए शानदार वेटिंग लांज
हर विभाग काफी बड़े स्पेस में फैला हुआ, चकाचक रौशनी
इनमें हर विभाग काफी बड़े स्पेस और चकाचक रौशनी में फैला है। हर एक विभाग में मरीजों के बैठने के लिए लगभग 150 से 200 आराम चेयर रखी हैं। आप अलग 12 – 12.30 बजे दोपहर में जाएं तो हर विभाग में ये कुर्सियां मरीजों और उनके अटेंडेंट से भरी मिलेंगी। ऐसे हजारों चेयर इन विभागों के सेंट्रलाइज वातानुकूलित (एसी) लांज में रखी मिलेंगी। यहां गौरतलब है कि पटना के जो रूबन, मेदांता या पारस जैसे बड़े निजी अस्पतालों में इतनी तादाद में चेयर मरीजों के लिए रखी नहीं मिलेंगी। यही नहीं, हर विभाग के साथ डाक्टर के लिए 7 से 10 सुसज्जित कंसल्टेंसी रूम भी हैं, जहां आप चिकित्सकों से परामर्श ले सकते हैं। पूरी बिल्डिंग में सेंट्रलाइज एसी। बिल्डिंग में शवों को रखने के लिए 12 बेड के मार्चरी का भी इंतजाम। इसके लिए बाक्स 5 अगस्त तक आ जाएंगे।
चिकित्सकों से परामर्श को कंसल्टेंसी रूम
3 फेज में और चार बड़े टावरों में होना है निर्माण
मालूम हो कि पीएमसीएच का पूरा निर्माण 3 फेज में और चार बड़े टावरों में होना है। तब यहां कु्ल 5460 बेड होंगे। इसकी लागत भी लगभग 5500 करोड़ की होगी। यह पहला ऐसा बड़ा नया अस्पताल तैयार हो रहा है, जहां एक दिन भी मरीजों का इलाज बंद नहीं हुआ। पीएमसीएच की पुरानी इमारत में इलाज को जारी रखते हुए यहां नई इमारत के निर्माण की पटकथा लिखी गई।
क्या कहते हैं, पीएमसीएच के अधीक्षक डा. आईएस ठाकुर
पीएमसीएच के इस भव्य नवनिर्माण की पटकथा डा. आईएस ठाकुर के अधीक्षक रहते लिखी गई। बिहार के इस बहुप्रतिष्ठित अस्पताल के पुराने भवन को जिन लोगों ने देखा है वे नए भवन में आकर यह जरूर कहेंगे कि इसका वास्तव में कायाकल्प हो गया है। जैसा कि डा. ठाकुर बताते हैं कि वह 1 फरवरी, 2021 क़ो बतौर अधीक्षक पीएमसीएच ज्वाएन किए थे। तब कोविड की लहर का दौर चल रहा था। लोग काफी परेशानी में थे, लेकिन, पीएमसीएच ने उस समय भी बेहतर इलाज के मानदंड गढ़े। दिल्ली से आई केन्द्रीय टीम ने भी इसे सराहा। इसी बीच 8 फरवरी, 2021 क़ो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएमसीएच की नई इमारत का शिलान्यास किया। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी मौजूद थे। शिलान्यास के बाद ही कोविड की दूसरी लहर आई। अब कोविड मरीजों के इलाज के बेहतर प्रबंध के साथ ही नई इमारत के निर्माण का भी मार्ग प्रशस्त करना था। काफी दिक्कतें आईं। गर्ल्स हास्टल और नर्सेज हास्टल, कैदी वार्ड, कॉटेज आदि को खाली कराकर तोड़ा गया। पेडिएट्रिक वार्ड भी टूटा। अस्थाई रूप से शिशु वार्ड को टाटा वार्ड में शिफ्ट करना पड़ा। इन सबका काफी विरोध हुआ। उनपर कई आरोप भी लगे। मगर, चूंकि मरीजों को नए पीएमसीएच में बेहतर सुविधा मुहैया कराई जानी थी। लिहाजा, वह अपने काम में समर्पण भाव से लगे रहे। आज नतीजा सामने है। पहले से डेढ़ गुना तादात में मरीज यहां पहुंच रहे हैं। उन्हें बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं।