पटना। युद्ध भूमि सज चुकी है। एक ओर दवा किंग तो दूसरी तरफ होटल सम्राट के सेनापति मोर्चा संभाल चुके हैं। आर – पार की लड़ाई में बस 72 घंटे बचे हैं। अगले 15 दिसम्बर को फैसला हो जाएगा कि बिहार के 160 साल पुराने अति प्रतिट्ठित बांकीपुर क्लब (लिमिटेड) पर किसका राज चलेगा।
जिला कलेक्ट्रेट के पास 3.5 एकड़ में है बांकीपुर क्लब लिमिटेड
राजधानी पटना के जिला कलेक्ट्रेट (गांधी मैदान) के पास कोर्ट रोड पर 3.5 एकड़ की जमीन पर बना यह क्लब लिमिटेड कंपनी के रूप में सूचिबद्ध है। यह क्लब न सि्र्फ पटना बल्कि पूरे बिहार के अभिजात्य वर्ग में अपना गरिमामयी स्थान रखता है। सूबे के 600 नामी बिजनेसमैन, प्रख्यात चिकित्सक, अधिवक्ता और ब्यूरोक्रेट इसके स्थायी सदस्य हैं। इसको निदेशक मंडल का चुनाव अगले 15 दिसम्बर यानी रविवार को होना है। पटना के हृदलस्थल पर स्थित इस क्लब का स्थायी सदस्य होना पटना के इलिट क्लास में गौरव की बात मानी जाती है।
महेश अग्रवाल और गोपाल खेमका लड़ाई में आमने – सामने
इस चुनाव के लिए दो पैनल आमने सामने हैं। एक पैनल गोपाल खेमका का है, जिससे 7 उम्मीदवार मैदान में हैं। दूसरा पैनल महेश अग्रवाल का है, मगर इस पैनल के 6 प्रत्याशी ही अखाड़े में रह गए हैं। शिक्षा संस्थान चलाने वाले आशीष आदर्श ने भी महेश अग्रवाल के पैनल से नामांकन किया था, जिसे रद्द कर दिया गया। इसे लेकर खासा विवाद हुआ, जिसकी चर्चा बाद में। बहरहाल, गोपाल खेमका बड़े दवा कारोबारी हैं। ये हास्पिटल व्यवसावय से भी जुड़े रहे हैं। वहीं, महेश अग्रवाल का पटना में एक जानामाना होटल है। साथ ही वह इलेक्ट्रानिक्स व्यवसाय से भी जुड़े हैं।
6 निदेशक जीतने वाला पैनल संभालेगा क्लब की कमान
दोनों खेमे से कुल 13 उम्मीदवार निदेशक मंडल के चुनाव की रेस में हैं। क्लब के स्थायी सदस्य इनमें से 11 को बतौर निदेशक चुनेंगे। यही निदेशक सचिव, कोषाध्यक्ष और कार्यसमिति का चयन करेंगे। अभी जो स्थिति है, उसमें जिस पैनल से भी 6 निदेशक चुने जाएंगे, वही, बांकीपुर क्लब की बागडोर संभालेगा। अब चूंकि महेश खेमे में मात्र छह ही सदस्य बच गए हैं, लिहाजा बांकीपुट क्लब की कमान तभी उसके हाथों में आएगा, जबकि उसके सभी 6 उम्मीदवार चुनाव जीत जाते हैं। इस क्लब के मुख्य पद सचिव और कोषाध्यक्ष के होते हैं। जिस पैनल के 6 सदस्य जीतेंगे, वही, इसका निर्वाचन करेगा और क्लब की तमाम गतिविधियों को संचालित करेगा।
खेमका पैनल
इस पैनल में गोपाल खेमका (वर्तमान सचिव) के साथ सतीश एम चरण पहाड़ी (मौजूदा कोषाध्यक्ष), डा. संजय कुमार संथालिया, डा. बिपिन कुमार सिन्हा, ADV राज नंदन प्रसाद, रिटायर्ड अधिकारी सुभाष प्रसाद सिन्हा और डा. संजीव कुमार हैं। इनमें राजनंदन को छोड़ दें तो बाकी सभी पिछली बार भी निदेशक चुने गए थे। क्लब से लगभग 2000 अन्य सदस्य भी जुड़े हैं।
महेश पैनल
इस पैनल में महेश अग्रवाल के अलावा डा. ओम प्रकाश, डा. आरएन कुमार सिंह, प्रकाश सिंह, रोहित अहलुवालिया और संजय अग्रवाल हैं। इनमें प्रकाश को छोड़कर बाकी पांच पिछली बार भी निदेशक थे। आशीष आदर्श का नामांकन रद्द होने के बाद यह खेमा अपने बाकी सभी 6 उम्मीदवारों को जिताने के लिए पूरा जोर लगा रहा है।
आशीष आदर्श का नामांकन रदद करने ने लिया सियासी रंग
आशीष आदर्श का दावा है कि उनका नामांकन रद्द करना नियमानुकूल नहीं है। कारण कि इसके लिए जो दो तर्क इसके लिए दिए जा रहे हैं, उसका जिक्र कहीं भी क्लब के बाइलाज में नहीं है। एक तर्क यह है कि उनके जो प्रोपोजर और सेकेंडर थे, उन पर क्लब का सितम्बर का कुछ बकाया था और उन्होंने तय समय एक दिसम्बर तक इसका भुगतान नहीं किया। श्री आदर्श का कहना है कि जो भी बकाया था, उसका भुगतान तय तिथि को समय से पहले कर दिया गया था। नामांकन रद्द करने का दूसरा कारण यह दिया जा रहा है कि सेकेंडर एक से अधिक हैं, जो नियमानुकूल नहीं है। अशीष आदर्श का कहना है कि क्लब के कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। यदि है तो उनको दिखाया जाए। उनका आरोप है कि दरअसल, वह इस चुनाव में एक सशक्त उम्मीदवार थे और इसी कारण साजिश के तहत उनका नामांकन कैंसिल किया गया। उनका यह भी आरोप है कि बिना रिटर्निंग अफसर से बात किए ही उनका नामांकन रद्द कर दिया गया। बहरहाल, आशीष आदर्श का नामांकन रद्द होना इस चुनाव में एक सियासी रंग ले चुका है।