पटना। उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने बिहार सरकार खासकर अपने विभाग के अधिकारियों को उद्यमियों के प्रति अपना रवैया बदलने की नसीहत दी। उन्होंने माना कि उद्योग और कारोबार जगत की कई वास्तविक समस्याएं हैं और उद्यमियों को उनके निराकरण के लिए विभाग से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। ऐसे में उद्यमियों की उद्योग विभाग से शिकायतें लाजिमी हैं। उन्होंने बियाडा समेत विभाग के अधिकारियों को उद्यमियों के प्रति संवेदनशील रुख अपनाने की भी सलाह दी। कहा कि अधिकारी स्थानीय स्तर पर उद्यमियों से समन्वय बनाकर उनकी समस्याओं का निराकरण करें। विकसित बिहार के निर्माण के लिए फ्यूचर विजन के साथ काम जरूरी है। वह बुधवार को यहां विभाग की ओर से पुराना सचिवालय के अधिवेशन भवन में आयोजित उद्यमी पंचायत में बोल रहे थे। दरअसल, इस पंचायत में उद्यमियों ने विभाग के असंवेदनशील रवैए को लेकर अपनी शिकायतों एवं समस्याओं की बौछार कर दी थी।
सुझाव व फीडबैक सीएम को बताएंगे : मुख्य सचिव
इस मौके पर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर इस उद्यमी पंचायत का आयोजन किया गया है। उद्यमियों से मिले फीडबैक और सुझावों के बारे में सीएम को बताया जाएगा। कहा कि सरकार कुछ अन्य राज्यों की तर्ज पर बिहार में भी प्राइवेट इंडस्ट्रीयल पार्क की अवधारणा पर काम कर रही है। इसके अमल में आने पर उद्यमियों के सामने विकल्प होगा कि वे सरकार या निजी क्षेत्र द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली भूमि पर अपना उद्यम लगा सकते हैं।
वंदना प्रेयसी ने प्रेजेंटेशन दिया
उद्योग विभाग की प्रधान सचिव वंदना प्रेयसी ने बिहार सरकार द्वारा उद्योग जगत को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा किए गए कार्यों और उसकी नीतियों के बारे में प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने इस आयोजन को कुछ दिनों बाद पटना में होने वाले बिहार बिजनेस कनेक्ट-24 की तैयारी बताया।
अधिकतर शिकायतें बियाडा को लेकर
बियडा के एमडी श्री कुंदन ने कहा कि वह उद्योमियों की समस्याओं के निदान के लिए हफ्ते के सातों दिन और 24 घंटे उपलब्ध हैं। हालांकि अधिकतर उद्योमियों की शिकायतें बियाडा को लेकर ही थीं। कार्यक्रम में दमकल विभाग, प्रदूषण नियंत्रण, वित्त और अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे।
मंच पर नहीं था कोई उद्योग प्रतिनिधि
बिहार में कम से कम दो काफी प्रतिष्ठित संगठन हैं- एक, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन और दूसरा, बिहार चैम्बर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज। मगर उद्योग विभाग के उद्यमी पंचायत में मंच पर उद्योग और कारोबार जगत के इन दोनों संगठनों में से किसी के भी अध्यक्ष या अन्य प्रतिनिधि को स्थान नहीं मिला था। यह उद्यमियों के बीच चर्चा में रहा। उनका कहना था कि मंच पर तो अधिकारियों का ही जमघट रहा। दोनों संगठनों को उचित सम्मान नहीं मिला। मीडिया को भी सरकार की नीतियों, एसआईपीबी और प्रधान सचिव के प्रेजेंटेशन से संबंधित कोई दस्तावेज मुहैया नहीं कराया गया।
उद्यमी पंचायत में जो प्रमुख सुझाव आए
बीआईए के अरुण अग्रवाल ने कहा कि उद्यमियों से जुड़ा सबसे प्रमुख विभाग उद्योग विभाग है। इस नाते वह सबसे बड़ा स्टेक होल्डर है। मगर, उद्योमियों के बारे में बड़े निर्णय अन्य विभाग अकेले ही ले लेते हैं। इसका नुकसान उद्योमियों को उठाना पड़ता है। विभाग द्वारा ससमय इंसेंटिव भुगतान के दावे के उलट उन्होंने यह भी कहा कि कई इंसेंटिव क्लेम महीनों से लम्बित पड़े हैं। उन्होंने फायर लाइसेंस की अवधि भी बढ़ाकर 10 साल करने की वकालत की। श्री अग्रवाल जब अपने सुझाव रख रहे थे, उस वक्त मंत्री, मुख्य सचिव और वंदना प्रेयसी किसी गंभीर मंत्रणा में मशगूल दिखे। इंडियन चैम्बर और कामर्स के अध्यक्ष प्रभात सिन्हा ने कहा कि जब तक विभाग उद्यमियों की समस्याओं के बारे में गंभीरता से नहीं सोचेगा, इस तरह की उद्यमी पंचायत या बिजनेस कनेक्ट से कुछ नहीं होने वाला। बिहार में अब तक देखा गया है कि बड़े निवेश नहीं आ रहे हैं। इसलिए 1000 करोड़ के एक निवेश पर तवज्जो देने की जगह एक करोड़ के एक हजार निवेश को प्रोत्साहित करने पर सरकार ध्यान दे। कार्यक्रम में सीआईआई और लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष ने भी सुझाव दिए। कार्यक्रम में बीआईए के पूर्व अध्यक्ष राम लाल खेतान समेत बिहार भर से आए कई उद्यमी मौजूद रहे।