पटना। क्या आप होलिका दहन और होली के शुभ मुहूर्त और दिन को लेकर कंफ्यूज हैं। …तो आईए जानते हैं विस्तार से। वर्ष यानी 2024 (सम्वत् 2080) में होलिका दहन 24 मार्च को होगा। अलग-अलग जगहों के हिसाब से इसके समय में अंतर आएगा।
रंगों का त्योहार होली सम्वत्सरान्त एवं वासन्तिक प्रकृति छटा के मध्य मनाया जाता है। इसके पूर्व होलिका दहन का नियम रहा है। प्रायः एक दो साल के अंतर पर होलिका दहन और होली के मुहूर्त में कुछ अलग स्थिति बनती है।
पटना समेत मगध में इस दिन होली
इस वर्ष होलिका दहन के मुहूर्त में संशय की स्थिति के कारण गया धाम के आचार्य नवीन (मो. नम्बर-7488976003) ने कई पंचांगों के अध्ययन के बाद विस्तार से यह बताया है कि पटना समेत पूरे मगध क्षेत्र में 26 मार्च को सभी जगह होली मनाएंगे। चूंकि 25 मार्च को मध्याह्न (दोपहर) तक पूर्णिमा है, इसलिए इस दिन काशी में होली होगी।
होलिकादहन का अति शुभ मुहूर्त
वह बताते हैं कि 24 मार्च की रात्रि 10.30 के बाद पटना समेत संपूर्ण मगध इलाके में होलिकादहन का अति शुभ मुहूर्त का संयोग है। इसलिए इसक बाद ही होलिका दहन करें। उनका कहना है कि सनातनी शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर अपने कष्ट, दुःख, अवगुण, ईर्ष्या, द्वेष का दहनकर खुशियों रुपी रंगों के तालाब में गोता लगाएं।
पूर्णिमा लगते ही भद्रा का भी आरम्भ
आचार्य नवीन बताते हैं कि होलिका दहन में भद्रा पर विचार करने के लिए पञ्चाङ्गों का अवलोकन करने के बाद यह निष्कर्ष निकला गया है। ध्यान रहे कि पूर्णिमा लगते ही भद्रा का भी आरम्भ हो जाता है, जो लगभग व्याप्त पूर्णिमा की आधा भोग करती है। उनके अनुसार,
24 मार्च 2024 रविवार की रात्रि शेष में भद्रान्त :
हृषीकेश, हनुमान, अन्नपूर्णा रात्रि 10.27
महावीर – रात्रि 10.28
विश्व- रात्रि 10.20
आदित्य – रात्रि 10.50
ब्रजभूमि – रात्रि 11.12
मार्तण्ड – रात्रि 11.13
दृक्सिद्ध – रात्रि 11.14
गणेशआपा रात्रि 11.24
अतः हृषिकेश, हनुमान, अन्नपूर्णा, महावीर, विश्व को प्रधानता देते हुए अति शुभ मुहूर्त 24 मार्च की रात्रि 10.30 के बाद पटना समेत पूरे मगध क्षेत्र में होलिका दहन किया जाए। शेष अन्य जगहों पर जिस पञ्चाङ्ग की प्रधानता है उसमें दिए गए भद्रान्त समय का पालन किया जाए। इस तरह 25 मार्च को काशी और 26 मार्च को सर्वत्र होली का उत्सव होगा।
होलिका दहन की लपटें देखकर जाने फल
आचार्य नवीन के अनुसार,
होलिका दहन की लपटों देखकर जाने फल :
पूर्व- राजा प्रजा सुख, अग्नि कोण- अग्नि भय
दक्षिण नैऋत्य – दुर्भिक्ष, महावृष्टि
वायव्य – वायु वृद्धि,उत्तर सुमिक्ष,ईशान- प्रजा सुख
इस सिद्धमंत्र का जाप करना अति फलदायी
उनके अनुसार होलिका दहन के समय इस सिद्धमंत्र का जाप करना अति फलदायी होता है :
——–:होलिका विभूति धारण मंत्र:——–
ऊँ वन्दिता सि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहिनों देवि विभूर्तिभूतिदा भव।।