राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने पटना में 85वें एआईपीओसी के समापन सत्र को संबोधित किया
पटना, 21 जनवरी 2025: बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने आज मंगलवार को पटना में 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (AIPOC) के समापन सत्र को संबोधित किया। उनका संबोधन काफी विद्वतापूर्ण रहा। इस मौके पर उन्होंने धार्मिक आख्यानों के हवाले से इशारों में कई बड़ी बातें कहीं। मंत्रमुग्ध बिहार विधानसभा के विस्तारित भवन स्थित सेन्ट्रल हाल में बैठे देशभर के 23 विधानमंडलों के 41 पीठासीन अधिकारी और तमाम विशिष्ट अतिथियों ने बार- बार तालियां बजाईं। उन्होंने विधानसभा अध्यक्षों और पीठासीन पदाधिकारियों को लोकतांत्रिक संस्थाओं की प्रतिष्ठा का संरक्षक बताया। उनसे कहा कि आप पर नेतृत्व की जिम्मेदारी है और जिनपर नेतृत्व की जिम्मेदारी होती है, उनसे समाज को प्रेरित करने की भी अपेक्षा होती है। इस मौके पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला और राज्यसभा के सभापति हरिवंश, बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव और विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह भी मौजूद रहे।
भारतीय संविधान सिर्फ कानूनी दस्तावेज नहीं, राष्ट्र के आदर्शों व उद्देश्यों का प्रतीक भी
यह उल्लेख करते हुए कि भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं है, बल्कि देश के आदर्शों और उद्देश्यों का प्रतीक भी है, श्री खान ने कहा कि यह प्राचीन भारतीय मूल्यों और आदर्शों को दर्शाता है, जो आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक हैं। आत्मा का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय सभ्यता, आत्मा की भाँति शाश्वत और अपरिवर्तनीय है जो उसे विश्व में एक अनुपम स्थान देता है। राज्यपाल ने कहा कि दुनिया की अन्य प्राचीन सभ्यताएं अलग अलग कारणों से जानी जाती हैं, मगर एकमात्र भारतीय सभ्यता है जो ज्ञान और प्रज्ञा के लिए जानी जाती है। आख्यानों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता पुरातन होते हुए भी हमेशा नूतन है।
“विविधता में एकता” और “बंधुत्व, समानता, न्याय” भारत के सभ्यतागत मूल्यों में समाहित
उन्होंने मानवतावाद और समानता जैसे भारतीय मूल्यों की चर्चा की, जो प्राचीन गुरुओं जैसे आदि शंकराचार्य के कार्यों में निहित हैं, जिन्होंने देशभर में आध्यात्मिक एकता का प्रसार किया। कहा कि “विविधता में एकता” और “बंधुत्व, समानता, न्याय” जैसे मूल्य भारत के सभ्यतागत मूल्यों में समाहित है। विधायी निकायों से अपील की कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा के अनुरूप 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयासरत रहे।
पंचायती राज व्यवस्था की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय गणराज्यों से
भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन विरासत का उल्लेख करते हुए, श्री खान ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय गणराज्यों से हुई है, जहाँ शासन प्रणाली लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर आधारित थी। श्री खान ने कहा कि प्राचीन भारत में राजतंत्र के बजाय लोकतांत्रिक व्यवस्थाएँ प्रचलित थीं, जैसे वैशाली में, जहाँ शासकों को जनता द्वारा चुना जाता था। उन्होंने यह भी कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारतीय संविधान के निर्माण के दौरान भारतीय लोकतंत्र की प्राचीन धरोहर को उद्धृत किया था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम और संविधान निर्माण में बिहार के योगदान की भी सराहना की, जिसकी 75वीं वर्षगांठ देशभर में मनाई जा रही है।