- गरीब परिवारों से जुड़े कामों के लिए 2 लाख 50 हजार करोड़ की जरूरत
- इस कारण इन सभी को 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया
बिहार अब तक डेस्क। पटना।
नीतीश सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की फिर मांग की है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में बुधवार को हुई राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव पास किया गया। साथ ही सरकारी सेवकों का महंगाई भत्ता में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया गया है।
सीएम नीतीश कुमार ने अपने एक्स (ट्वीटर) एकाउंट पर लिखा है कि देश में पहली बार बिहार में जाति आधारित गणना का काम कराया गया है। जाति आधारित गणना के सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक स्थिति के आंकड़ों के आधार पर अनुसूचित जाति के लिये आरक्षण सीमा को 16 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के लिये आरक्षण की सीमा को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 18 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत तथा पिछड़ा वर्ग के लिये आरक्षण की सीमा को 12 प्रतिशत से बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है अर्थात सामाजिक रूप से कमजोर तबकों के लिये आरक्षण सीमा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया गया है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण पूर्ववत लागू रहेगा। अर्थात इन सभी वर्गो के लिए कुल आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
उन्होंने कहा है कि जाति आधारित गणना में सभी वर्गों को मिलाकर बिहार में लगभग 94 लाख गरीब परिवार पाये गये हैं, उन सभी परिवार के एक सदस्य को रोजगार हेतु 2 लाख रूपये तक की राशि किश्तों में उपलब्ध करायी जायेगी। वहीं, 63,850 आवासहीन एवं भूमिहीन परिवारों को जमीन क्रय के लिए दी जा रही 60 हजार रूपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रूपये कर दिया गया है। साथ ही, इन परिवारों को मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रूपये दिये जायेंगे। जो 39 लाख परिवार झोपड़ियों में रह रहे हैं उन्हें भी पक्का मकान मुहैया कराया जायेगा जिसके लिए प्रति परिवार 1 लाख 20 हजार रूपये की दर से राशि उपलब्ध करायी जायेगी। सतत् जीविकोपार्जन योजना के अन्तर्गत अत्यंत निर्धन परिवारों की सहायता के लिए अब 01 लाख रूपये के बदले 02 लाख रूपये दिये जायेंगे। इन योजनाओं के क्रियान्वयन में लगभग 2 लाख 50 हजार करोड़ रूपये की राशि व्यय होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन कामों के लिये काफी बड़ी राशि की आवश्यकता होने के कारण इन्हें 5 साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केन्द्र सरकार द्वारा बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल जाय तो हम इस काम को बहुत कम समय में ही पूरा कर लेंगे। हमलोग बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की माँग वर्ष 2010 से ही कर रहे हैं। इसके लिए 4 नवम्बर, 2012 को पटना के गाँधी मैदान में तथा 17 मार्च, 2013 को दिल्ली के रामलीला मैदान में बिहार को विशेष राज्य के दर्जे के लिए अधिकार रैली भी की थी। हमारी माँग पर तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके लिए रघुराम राजन कमेटी भी बनाई थी जिसकी रिपोर्ट सितम्बर, 2013 में प्रकाशित हुई थी परन्तु उस समय भी तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसके बारे में कुछ नहीं किया। मई, 2017 में भी हमलोगों ने विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। आज कैबिनेट की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने हेतु केन्द्र सरकार से अनुरोध करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। मेरा अनुरोध है कि बिहार के लोगों के हित को ध्यान में रखते हुये केन्द्र सरकार बिहार को शीघ्र विशेष राज्य का दर्जा दे।
आज सम्पन्न मंत्रिपरिषद् की बैठक में कुल 38 (अड़तीस) एजेंडों पर निर्णय लिए गए तथा दो अन्यान्य बिन्दुओं पर विचार किया गया। इस सन्दर्भ में मंत्रिपरिषद् की बैठक के बाद मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के अपर मुख्य सचिव, डा. एस सिद्धार्थ ने सूचना भवन के प्रथम तल स्थित सभा कक्ष में मीडिया को बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग के अन्तर्गत बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसृूचित जनजातियों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लिए) अधिनियम-1991 यथा संशोधित बिहार अधिनियम- 17/2002 एवं संशोधन अधिनियम-19/2023 को भारत के संविधान के अनुच्छेद-31(ख) के अधीन भारतीय संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने हेतु राज्य सरकार की अनुशंसा भेजने की स्वीकृति दी गई।
मंत्रिपरिषद् की बैठक के दौरान दो अन्यान्य बिंदुओं पर विचार किया गया। इसके तहत बिहार राज्य के अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अति पिछड़ा एवं पिछड़े वर्गों को पदों एवं सेवाओं की रिक्त्तियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में नामांकन में आरक्षण का प्रतिशत 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने के लिए आरक्षण अधिनियम, 2023 की अधिसूचना निर्गत करने के लिए राज्य मंत्रिपरिषद् द्वारा माननीय मुख्यमंत्री, बिहार को धन्यवाद दिया गया। इस प्रावधान के लागू होने से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा एवं अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षणिक एवं आर्थिक हितों को बढ़ावा मिलेगा तथा भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय की व्यवस्था सुनिश्चित हो सकेगी।
निर्धारित शैक्षणिक योग्यता में सशर्त छूट की स्वीकृति दी गई
अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के नियम, 1995 (समय-समय पर यथा संशोधित) के नियम, 15(1) के उपबंधों के अधीन निर्गत संकल्प सं०-1825 दिनांक- 19.09.2020 के कार्यान्वयन के लिए पत्रांक-1827 दिनांक-19.09.2020 द्वारा प्रेषित तत्संबंधी नियुक्ति मार्गदर्शिका हेतु अर्हता में निर्धारित शैक्षणिक योग्यता में सशर्त छूट की स्वीकृति दी गई। तदनुसार नियत न्यूनतम अर्हता 8वीं पास नहीं भी होंगी तो इस शर्त के साथ नियुक्ति की जाएगी कि अगले 2 वर्षों में 8वीं की परीक्षा में उत्तीर्णता प्राप्त कर ली जाएगी।
बिहार के सरकारी सेवकों की महंगाई भत्ता 4 फीसदी बढ़ी
बिहार के सरकारी सेवकों के लिए सरकार ने महंगाई भत्ता में वृद्धि की गई है। राज्य कैबिनेट ने चार फीसदी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पास किया है। डीए को 42 फीसदी से 46 प्रतिशत कर दिया गया है। गत 1 जुलाई, 2023 के प्रभाव से यह लाभ दिया जाएगा।