🌞 रविवार व्रत 2023 🌞
🌞सूर्योपासना में रविवार व्रत का एक विशिष्ट स्थान है। यह व्रत जो पहले से करते आ रहे है या जो छठ व्रत कर चुके हैं या जो सूर्य अराधना करते हैं वे सौरमास मार्गशीर्ष (अगहन) से व्रत का श्री गणेश करते है जिसे रविवार उठाना कहते हैं और प्रत्येक मास में व्रत करते हुए वैशाख में समापण करते हैं जिसे हम रविवार व्रत बैठाना कहते हैं।
जब धूप में परछाईं की आकार अपने से ज्यादा दिखे मध्याह्न उपरान्त नदी या सरोवर या अपने घर में तुलसी पौधा के पास सूर्यार्घ्य देकर भगवान भास्कर को प्रसन्न कर के एक अन्न एक बार ग्रहण किया जाता है।
सम्वत् (२०८० ई० सन्२०२३) में जब मार्गशीर्ष (अगहन) शुक्ल पक्ष होगा तब धनु राशि के सूर्य (सौरमास पौष १६/१७ दिसम्बर)अतः इस बार मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष में रविवार खरमास में पड़ने के कारण व्रत नियम विरुद्ध रहेगा और वृश्चिक राशि के सूर्य अर्थात् सौर मास मार्गशीर्ष (अगहन) १६/१७ नवंबर से प्रारम्भ है।
अतः सौरमास: मार्गशीर्ष (अगहन) की शास्त्रोक्त महत्त्व देते हुए २६ नवंबर रविवार को व्रत सर्वोत्तम है जिस का स्नानासन (नेहाय-खाय) २५ नवम्बर शनिवार को किया जाएगा।
जन्मकुण्डली में सूर्य अरिष्ट हों,चर्म – रोग, शिर – रोग, रक्त विकार से निदान या संतान, धन,सुखादि के लिए सूर्योपासना उत्तम है।
२६ नवम्बर रविवार को पञ्चमासिक सूर्योपासना (रविवार उठाना ) व्रत प्रारम्भ किया जाए।
शुभम्
आचार्य नवीन
गया धाम, गया
9430071590 / 7488976003
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